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पैरालंपिक गोल्ड जीतने का सपना लिए भोपाल में पसीना बहा रहे खिलाड़ी, 28 को होंगे रवाना…

भोपाल। राजधानी के छोटे तालाब स्थित सेंटर में इन दिनों  पैरालंपिक खिलाड़ियों में की ट्रैनिंग चल रही हैं। बता दें कि पूजा ओझा, प्राची यादव और यश कुमार पैरा कयाकिंग कैनोइंग में देश का नाम करने के लिए तैयार हैं। यह खिलाड़ी दिन में तीन-तीन बार जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। हर खिलाड़ी की अपनी संघर्ष भरी कहानी है। चाहे वो आर्थिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करना हो या आत्मविश्वास को बनाए रखना हो। सभी खिलाड़ी अपना बेस्ट दे रहे हैं। कोच मयंक ठाकुर का कहना है कि मैंने यह देखा है कि दिव्यांग खिलाड़ी मानसिक और भावनात्मक रूप से ज्यादा मजबूत होते हैं।

ट्रैनिंग ले रही पूजा ओझा बताती है कि मैं सिर्फ 5 हजार रुपए ले कर भोपाल ओलिंपिक का सपना लेकर आई थी। मैं आर्थिक और मानसिक रूप से कमजोर थी। शुरू से ही परिवार के हालात ठीक नहीं रहे। अपने जीवन में बहुत संघर्ष कर यहां तक पहुंची हूं। अब बस यही सपना है कि देश के लिए मेडल जीतूं। यहां तक के सफर में पिता का बहुत बड़ा योगदान है। मैं भिंड की रहने वाली हूं। भिंड के गौरी तालाब मेंपैरा कयाकिंग कैनोइंग  कैनोइंग प्रतियोगिता को देख कर प्रेरित हुई और प्रैक्टिस के लिए भोपाल आई। मेरे शरीर का करीब 80 प्रतिशत हिस्सा अपंग है, और इस हालत मैं अपना बेस्ट दे रही हूं। 

आंख में इंफेक्शन, फिर भी प्रैक्टिस जारी रखी

मैं ग्वालियर की रहने वाली प्राची ने कहा कि बचपन से ही दिव्यांग हूं। 10 साल की उम्र में मां गुजर गईं। पिता छोटी-सी सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्त हैं। ग्वालियर में थैरेपी ली जिससे शरीर के मूवमेंट में सुधार आया। तब स्विमिंग से शुरुआत की। लेकिन ज्यादा कामयाबी नहीं मिली। कोच के सुझाव पर मैंन कैनोइंग खेल को ज्वाइन किया, जो मेरे लिए बेस्ट रहा। इस खेल में इंटरनेशनल खेलने के लिए काफी पैसा इनवेस्ट करना पड़ा। इसके लिए पिता और कोच ने मदद की। ढ़ाई महीने पहले इंफेक्शन से एक आंख से दिखना बंद हो गया, लेकिन मेरी प्रैक्टिस फिर भी जारी है।

यश कुमार ने कहा कि मुझे बचपन से बॉडी बिल्डिंग का शौक था, लेकिन उसके लिए मैं आर्थिक रूप से तैयार नहीं था। फिर दोस्त के सुझाव पर कयाकिंग कैनोइंग खेल में जाने के लिए सोचा। परिवार से बात की तो शुरू में उन्होंने पढ़ाई कर कॅरियर बनाने के लिए कहा, लेकिन मुझे देश के लिए खेलना था। परिवार से दुबारा बात करने के बाद सब राजी हुए। फिर मैंने कयाकिंग कैनोइंग को ज्वॉइन किया। मेरे लिए सबसे बड़ी चुनौती पैसों को लेकर थी, क्योंकि घर से सिर्फ पांच हजार रुपए खर्च के लिए मिलते थे। उसी में रहना और खाना करना होता था। इतने बजट में डाइट और अन्य चीजों में बहुत दिक्कत आती। अब मैं पैरालंपिक में अपना बेस्ट देने के लिए तैयार हूं। 

कोच मयंक ठाकुर ने बताया कि खिलाड़ियों का छोटे तालाब पर प्रैक्टिस कैंप लगा है। सभी खिलाड़ी 28 जुलाई को पेरिस के लिए रवाना होंगे। पेरिस में पांच दिन का प्रैक्टिस सेशन होगा, जिससे वहां के मौसम का अनुमान हो जाए और खिलाड़ियों को कोई दिक्कत का सामना न करना पड़े। कॉम्पिटिशन के लिए वर्ल्ड की बेस्ट बोट को बुक कर दिया है। यहां से सिर्फ एक ही बोट को ले जाया जा रहा है। कोच मयंक का कहना है कि ऐसा पहली बार है कि पैरा कयाकिंग कैनोइंग में भारत के तीन खिलाड़ी प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

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