कार्यक्रमछत्तीसगढ़न्यूज़राज्यरायपुररायपुर

भीषण गर्मी ने, याद दिलाया “चिपको आन्दोलन”

रायपुर, 04 अप्रेल 2024 | जेआरदानी शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय-रायपुर के इको क्लब ने विकास की तेज रफ्तार और शहरीकरण ने वृक्षों व वनों का दायरा सिमटा कर रख दिया है, पेड किसी से कुछ लेते नहीं बल्कि मीठ-मीठे फल, जडी-बूटी औषधि, इमारती-जलाऊ लकडी,शीतल छांव, सभी जीव-जन्तु को प्राणदायिनी आक्सीजन निःशुल्क प्रदान करते हैं, इसलिए अधिक से अधिक पौधारोपण करने तथा वनों के संरक्षण का संकल्प करना चाहिए “

-उपरोक्त कथन”जे.आर.दानी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय-कालीबाडी रायपुर के इको क्लब” के कार्यक्रम में, प्राचार्य हितेश कुमार दीवान व्यक्त कर रहे थे।
सीएसी आरती शर्मा ने कहा कि- प्राचीन समय से ही ऑवला-पीपल-बरगद व वृक्षों के पूजन का महत्व है, क्योंकि वृक्ष ही भाप भरी हवाओं रोककर बादल का रूप देकर”बारिश” कराने में सहायक होती हैं। इसलिए अधिक से अधिक पौधारोपण करना चाहिए


प्रधानपाठक क्रांति चंद्राकर के अनुसार– प्रकृति व पृथ्वी के सौंदर्य ” पेंड-पौधे व वृक्ष”‘ मिट्टी के कटाव को रोकने में सहायक होने के साथ-साथ असंख्य पक्षियों का बसेरा भी होता है, इसलिए परोपकारी वृक्षों का संरक्षण हमें करना चाहिए।
कार्यक्रम में बीएड छात्राध्यापक हेमधर साहू, ने बालिकाओं को”चिपको आन्दोलन” की तर्ज पर पेड के चारों ओर लिपटकर खडे कराकर, “पहले हमें काटो,फिर पेडों को काटना” के नारे से वनाधिकार के लिए प्रसिद्ध आंदोलन”चिपको आंदोलन ” के महत्व को बताया। हेमधर साहू के अनुसार सन् 1974 में तत्कालीन उत्तरप्रदेश व आज के उत्तराखण्ड के चमोली जिले की रेणी गांव की महिलाओं ने गौरा देवी जी के नेतृत्व में पेडों से चिपककर, 2400 पेडों को कटने से रोका था।” चिपको आन्दोलन” पर्यावरण बचाओ का विश्व प्रसिद्ध आंदोलन था जिसमें महिलाओं की व् शेष भागीदारी थी।

हमें भी प्राणियों को भोजन उपलब्ध कराने वाले वनों को बचाना होगा, पेडों की कमी होने से, एक पेड से दूसरे पेंड तक जाने में पक्षी को लंबी-लंबी उडान भरनी होती हैं जो कि कष्टप्रद ,एवं सभी पक्षी के लिए संभव नहीं है। इसलिए परोपकारी वृक्षों की रक्षा का संकल्प भी दिलाया गया ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button