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रायपुर नगर निगम के साथ मिलकर पशु प्रेमियों ने दया और सह-अस्तित्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए किया प्रयास

रायपुर, 04 अप्रेल 2024 | नगर निगम के साथ एक ज्ञानवर्धक और हृदयस्पर्शी सहयोगात्मक प्रयास में, शहर के पशु प्रेमियों ने मैरीड ड्राइव में ‘हमारी सड़कें, उनके घर’ नामक एक मनोरंजक नुक्कड़ नाटक के माध्यम से करुणा और सह-अस्तित्व का संदेश दिया, जिसमें आम जनता से सामुदायिक जानवरों के प्रति दया को बढ़ावा देने का आग्रह किया गया। जो अपने अस्तित्व और खुशहाली के लिए इंसानो पर निर्भर हैं।

इस आयोजन ने जानवरों की रक्षा करने वाले विभिन्न भारतीय कानूनों के बारे में जागरूकता बढ़ाई और साथ ही रायपुर नगर निगम के प्रभावी पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम पर प्रकाश डाला, जहां सामुदायिक कुत्तों की आपरेशन द्वारा नसबंदीकीजाती है, रेबीज के खिलाफ टीका लगाया जाता है और फिर पशु जन्म नियंत्रण (कुत्ते) 2023नियमों के अनुपालन में उनके क्षेत्र में लौटाया जाता है। चूंकि उनके क्षेत्र खाली नहीं छोड़े जाते, इसलिए नए कुत्ते प्रवेश नहीं करतेहै। संभोग और प्रजनन भी बंद हो जाता है। संभोग न करने या क्षेत्रोंके लिए कुत्तों की लड़ाई कम हो जाती है और मनुष्यों के प्रति कोई भी आक्रामकता भी ख़तम हो जाती है।

एक्टिविस्ट कस्तूरी बलाल कहते हैं, “कुत्ते मनुष्यो द्वारापालतू बनायेपहले जानवर हैं, आर्कियोलोजीकल साक्ष्य बताते हैं कि उन्हें 30,000 साल पहले पालतू बनाया गया था और तब से वे इस ग्रह पर हमारे साथी और दोस्त रहेहैं,” हालांकि हमने देखा है किआज कल विशेषकर शहरी बस्तियों में सभी सामुदायिक पशुओं के प्रति नफ़रत और असनियाताबढ़ गयीहैजो मानवीय अहंकार और वर्चस्व को दर्शाता है।”

“भारत अहिंसा की भूमि है, एक प्राचीन भारतीय अवधारणा जो हिंदू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म के केंद्र में है, संस्कृत वाक्यांश “वसुधैव कुटुंबकम” का अर्थ है कि दुनिया एक परिवार है और हमें सभी जीवित प्राणियों के प्रति अपनी चिंता और विचार सहज रखनाचाहिए।”, एक्टिविस्ट आनंदिता दत्ता कहती हैं, “यह ग्रह जितना हमारा है उतना ही उनका भी है और इसलिए एक मात्र समाधान सह-अस्तित्व में है।”
कुत्तों/बिल्लियों को उनके स्थान सेएक अलग क्षेत्र में विस्थापित करनापशुक्रूरता निवारण की धारा 11(1)(i) का उल्लंघन है। इसके अतिरिक्त, कुत्तों पर छड़ी उठाकर उन्हें डराना या छड़ी लेकर उनके पीछे दौड़ना, उन पर पत्थर फेंकना पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 11(1)के अंतरगत क्रूरता में परिभाषित है। किसी जानवर की “हत्या करनाया अपंगबनाना, भारतीय न्याय सहिंता (बीएनएस) 2023 की धारा 325 के ताहत एक गंभीर अपराध है, जिसमें 5 साल तक की कैद की सजा हो सकती है। संविधान का अनुच्छेद 51ए(जी) प्रत्येक नागरिक पर “जीवित प्राणियों के प्रति दया” रखने का मौलिक कर्तव्य लगाता है, जो निश्चित रूप से सामुदायिक जानवरों पर भी लागू होता है।

और जैसा कि महात्मा गांधी कहा था, “किसी राष्ट्र की महानता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वहां जानवरों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है।”

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