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बालिका गृह से 26 लड़कियां लापता, पुलिस ने दर्ज की FIR

MP की राजधानी भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में एक NGO के अवैध हॉस्टल (चिल्ड्रन होम) से एक बालक और 26 बच्चियों का रिकॉर्ड तो है, मगर इनका कोई आता-पता नहीं है। हॉस्टल में बच्चियों से ईसाई धर्म की प्रैक्टिस करवाई जाती थी। यहां की जांच के बाद परवलिया पुलिस ने हॉस्टल संचालक और पदाधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। वहीं, राष्ट्रीय बाल आयोग ने संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव वीरा राणा से सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है।राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने शुक्रवार को आंचल मिशनरी संस्था द्वारा संचालित चिल्ड्रन होम का निरीक्षण किया। यहां के संचालक अनिल मैथ्यू ने बताया कि सरकारी प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए जो बच्चे सड़कों से रेस्क्यू किए, उनको अपने हॉस्टल यानी चिल्ड्रन होम में रखा गया है। उनसे ईसाई धर्म की प्रेक्टिस कराई जा रही है। 6 से 18 साल तक की 40 से ज्यादा लड़कियों में अधिकांश हिन्दू हैं। वहीं संस्था को जर्मनी से फण्ड मिलता है।प्रियंक कानूनगो ने बताया कि मप्र सरकार ने एक एनजीओ को चाइल्ड हेल्प लाइन पर आने वाली शिकायतों को सुनने और मुश्किल में फंसे बच्चों को रेस्क्यू करने का काम सौंप रखा है। एनजीओ संचालक ने भोपाल के परवलिया थाना क्षेत्र में आंचल नाम से हॉस्टल बनाया है।एनजीओ के कर्मचारियों ने चाइल्ड हेल्प लाइन 1098 पर आए डिस्ट्रेस और मुश्किल में फंसे बच्चों के कॉल के आधार पर साल 2020 से रेस्क्यू शुरू किया। इनकी उम्र 6 से 18 साल के बीच है।राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का कहना है कि बच्चों को भोपाल की बाल कल्याण समिति (CWC) के सामने पेश करने के बजाय सीधे हॉस्टल में रखा गया। नियमानुसार सीडब्ल्यूसी के सामने पेश कर बच्चियों को बालिका गृह में भेजा जाना थाराष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मुख्य सचिव को पात्र लिखकर बताया है कि ‘भोपाल के आंचल बालगृह का निरीक्षण किया गया। इस दौरान बालगृह के अधिकारियों एवं बालगृह में मौजूद बच्चों से बातचीत की। इसमें पता चला कि बालगृह न तो पंजीकृत है और न ही मान्यता प्राप्त है। संलग्न सूची में 68 निवासरत बच्चियां दर्ज थीं। निरीक्षण के दौरान 41 बच्चियां ही मिलीं। सभी बच्चियां बाल कल्याण समिति के आदेश के बिना रह रही हैं। बालगृह के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि बच्चों को चाइल्ड इन स्ट्रीट सिचुऐशन से रेस्क्यू कर बिना बाल कल्याण समिति में प्रस्तुत किए यहां रखा जा रहा है। यह बालगृह पूर्व में रेलवे चाइल्ड लाइन चलाने वाली संस्था संचालित कर रही थी।’

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